Wednesday, January 27, 2016

गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, gauri shankar rudraksha price

गौरीशंकर रुद्राक्ष- यह शिव और शक्ति का मिश्रित स्वरूप माना जाता है। उभयात्मक शिव और शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है। पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है। यह शिव पार्वती का स्वरूप है। घर, पूजा ग्रह अथवा तिजोरी में मंगल कामना सिद्धि के लिये रखना लाभदायक है। इसे उपयोग में लाने से परिवार में सुख-शांति की वृद्धि होती है वातावरण शुद्ध बना रहता है। गले में धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
गौरीशकर रुद्राख सर्वसिद्धि प्रदाता रुद्राक्ष कहा गया है। यह सात्त्विक शक्ति में वृद्धि करने वाला, मोक्ष प्रदाता रुद्राक्ष है। जिसके घर में यह रुद्राक्ष होता है वहां लक्ष्मी का स्थाई वास हो जाता है तथा उसका घर धन-धान्य, वैभव, प्रतिष्ठा और दैवीय कृपा से भर जाता है। संक्षेप में यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को देने वाला चतुर्वर्ग प्रदाता रुद्राक्ष है।गौरीशंकर रुद्राक्ष में दो रुद्राक्ष के दानें परस्पर जुड़े होते हैं इन्हें गौरीशंकर रुद्राक्ष कहते हैं। गौरीशकर रुद्राक्ष सभी लग्न के जातकों के लिए शुभ माना गया है इसे धारण करने से अनेक लाभ होता है।
उपयोग से लाभ:-
1-गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से अभक्ष्य-भक्षण और पर स्त्री गमन जैसे- जघंन्य अपराध भी भगवान शिव द्वारा नष्ट होता है।
2-इसे धारण करने से अनेक विपरीत लिंग के लोग आकर्षित होते हैं तथा उनका सुख प्राप्त होता है।
3-यह रुद्राक्ष धनागमन एवं व्यापार उन्नति में अत्यन्त सहायक माना गया है
4-गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से पुरुषों को स्त्री सुख प्राप्त होता है तथा परस्पर सहयोग एवं सम्मान तथा प्रेम की वृद्धि होती है।
5-यह रुद्राक्ष शिवभक्ति के लिए अधिक उपयोगी माना गया है भगवान शिव और मां शक्ति इस रुद्राक्ष में निवास करती हैं।
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