Tuesday, January 26, 2016

नौ मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व, 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि

नौ मुखी रुद्राक्ष नवशक्ति संपन्न नवदुर्गा का प्रति‍‍निधि है. इसे भैरव का स्वरूप माना जाता है. यह रुद्राक्ष माँ दुर्गा के स्वामित्व में उनकी नौ शक्तियों को अपने में समाहित किए हुए है.नौ-मुखी रुद्राक्ष आदिकालीन माँ महामाया जगदम्बा का प्रतीक है जो इस विश्व की जननी है| नवदुर्गा का प्रतिनिधि प्रतीक यह रुद्राक्ष बहुत ही फलदायक है और धारक को शांति प्रदान करता है| माँ शक्ति के उपासकों को यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना.
यह रुद्राक्ष नव शक्ति से संपन्न है इसके देवता भगवती दुर्गा हैं इससे धारक को नौ तीर्थो-पशुपति, मुक्तिनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जगन्नाथ, सोमनाथ, पारसनाथ, वैद्यनाथ आदि तीर्थो का फल प्राप्त होता है इसे धर्मराज का स्वरूप माना गया है।नौ मुखी रुद्राक्ष धर्मराज का स्वरुप है। इसे धारण करने से सहनशीलता, वीरता, साहस, कर्मठता में वृद्धि होती है। संकल्प में दृड़ता आती है व किसी भी प्रकार का यमराज का भय नहीं रहता।
नौ मुख वाले रुद्राक्ष में नौ धारियां होती है । नौ मुख वाले रुद्राक्ष को नवशक्ति सम्पन्न माना जाता है । दुर्गाजी के सभी नव -अवतारों की पूर्ण शक्तियाँ इससे समायी होती है ,इसलिए यह पहनने वाले को अलौकिक -दिव्य शक्तियाँ भी देता है । नौ मुख वाले रुद्राक्ष में नौ तीर्थों -पशुपतिनाथ ,केदारनाथ ,सोमनाथ ,बद्रीनाथ ,विश्वनाथ ,जगन्नाथ ,पारसनाथ व बैद्यनाथ के दर्शन पुण्य होते हैं । वैसे तो सभी रुद्राक्ष शिव -शक्ति के रूप है ,किन्तु नौ मुख वाले रुद्राक्ष देवी माता के उपासकों के लिए विशेष हितकर होता है ,इसको धारण करने से वीरता ,धीरता ,साहस ,कर्मठता ,पराक्रम ,सहनशीलता तथा यश की वृद्ध होती है । यह रुद्राक्ष पहनने वाले को नवरात्रों के व्रत के समान पुण्य देता है तथा पति -पत्नी ,पिता -पुत्र के मतभेदों को दूर कर तन -मन से सदा पवित्र रखता है ।
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