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गोमेद और लहसुनिया के रत्न को अपनी कुण्डली किसी विद्वान ज्योतिषी को दिखा कर परामर्श लेकर धारण करना अनिवार्य होता है. या इनकी दशाएँ आने पर परामर्श से पहन सकते है. क्योंकि यह दोनों छाया ग्रह के रूप में माने जाते है. वैसे राहू का गोमेद है तथा केतु का रत्न लहसुनियां है राहू ग्रह शनि की प्रवृति रखता है. और केतु ग्रह मंगल की प्रवृति के समान होता है. यह जरूरी नहीं कि यह दोनों कष्टकारी फल दें, शुभ फल भी प्राप्त हो सकते है. यह दोनों रत्न कोई भी और किसी भी राशि का व्यक्ति परामर्श कर के धारण कर सकता है. और उसे लाभ भी होगा.
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