Monday, January 25, 2016

रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार, विभिन्न मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व

रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार
रुद्राक्ष के ऊपरी उभार तथा धारियों और आकृति के अनुसार इसकी कोटि को निर्धारित किया जाता है। एकमुखी अर्थात एक धारी वाला रुद्राक्ष अधिक उपयोगी तथा महत्वपूर्ण है। इसके बाद दोमुखी, तीनमुखी, चारमुखी और पंचमुखी रुद्राक्ष बहुतायत में मिलते हैं। माला बनाकर धारण करने के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष सर्वाधिक लोकप्रिय है लेकिन ग्यारह मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्व है जो अत्यंत कठिनाई से प्राप्त होता है। शक्ति की साधना और योगसिद्धि के लिए इनका उपयोग श्रेयस्कर माना जाता है।
एकमुखी रुद्राक्ष अपनी गुणवत्ता के लिए अधिक प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि एकमुखी रुद्राक्ष शिव की कृपा दृष्टि का प्रतीक है जो धारण करने वाले व्यक्ति की भाग्य शक्ति को बढ़ाकर अनिष्ट से सुरक्षा प्रदान करता रहता है।
दोमुखी रुद्राक्ष देवी दुर्गा का प्रतीक चिन्ह है जिसके धारण करने से हितकारी ज्ञान की प्राप्ति होती है जिससे शत्रुओं की चालों से रक्षा संभव है।
तीनमुखी को प्राय: त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु, महेश—का प्रतीक मानकर धारण किया जाता है किन्तु मूलत: यह शक्तिदायक बीज ऊर्जा प्रदान कर शरीर के त्रिदोष का निवारण करने में सहायक होता है।
चतुर्मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति को नियंत्रण और प्रशासन की क्षमता देने वाला होता है। साथ ही तीव्र पीड़ा और संकट में भी यह व्यक्ति को अविचलित रहने की सामथ्र्य देता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष अधिक प्रचलित और लोकप्रिय है। यही माया और लक्ष्मी का प्रतीक है। धन धान्य देने वाला तथा स्वस्थ और कांतिवान शरीर का रक्षक है। ऐसे रुद्राक्ष की असली माला को सिद्ध कर धारण करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य संतुलित रहता है तथा प्रयासों में सफलता मिलती है।
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