Wednesday, January 27, 2016

छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, 6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व

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छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसके संचालक ग्रह शुक्र है। इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है। इसे धारण करने से आरोग्यता,श्री एवं शक्ति प्राप्त होती है।छह मुखी रुद्राक्ष अपने उपासक को सफ़लता, महिमा, प्रसिद्धि, ताकत, बुद्धि, शक्ति, और बहुत कुछ दिलाता है।छह मुखी रुद्राक्ष को पहनने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा व्यक्ति आंतरिक सुषुप्त शक्तियाँ जागृत होती है।

छः मुखी रुद्राक्ष बुद्धि को बढ़ाता है और यादास्त तेज करता है। 6 मुखी रुद्राक्ष विद्वानों और छात्रों और रचनात्मक कार्यों से जुड़े व्यक्तियों के लिए अत्यंत लाभकारी है| श्वास रोग, रक्तचाप और हृदय सम्बंधित रोगों के उपचार में भी 6 मुखी रुद्राक्ष काफी सहायक साबित होता है| इसे धारण करने के बाद धारक मानिसक तौर पर सतर्क और जोश से भरपूर रहता है| और धन-संपत्ति और जायदाद सम्बंधित समस्याओं से धारक को सुरक्षित रखता है|

छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है | यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है | भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है | छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम होता है | भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है |

बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दो पांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए |आरोग्यता तथा दीर्घायु प्राप्ति के लिए वृषतुला राशि तथा मिथुन, कन्या, मकरकुंभ लग्न वाले जातक इसे धारण कर लाभ उठा सकते हैं। यह विद्या, ज्ञान, बुद्धि का प्रदाता है.

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