पुखराज किसे धारण करण चाहिए.
पुखराज की ज्योतिषीय विशेषता -
बृहस्पति ग्रह का रत्न पुखराज पीली आभा लिये होता है.यह गहरा पीला, हल्का पीला एवं सफेद भी होता है.छूने में ठोस, चिकना, चमकीला, दाग़ धब्बा रहित पुखराज उत्तम होता है.दूध में रात भर रखने से असली पुखराज क्षीण नहीं होता है और न ही इसका रंग फीका होता है.पुखराज धारण करने से पहले अच्छी तरह जांच परख लेना चाहिए कि रत्न दोष रहित हो.
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पुखराज धारण करने से लाभ -
जिस व्यक्ति की कुण्डली में बृहस्पति नीच का होता है अथवा कमजोर होता है उनके लिए पुखराज धारण करना लाभप्रद होता है.पुखराज अध्यात्म, सत्यता, लनशीलता और सजगता का प्रतीक होता है.प्रेमियो के लिए यह भाग्यशाली रत्न माना जाता है.मानसिक शांति एवं आत्मिक शांति के लिए भी यह रत्न लाभकारी होता है.इस रत्न को धारण करने से वाणी सम्बन्धी दोष एवं गले की पीड़ा से राहत मिलती है.प्राचीन यूनान में इसे अपोलो देवता द्वारा प्रदान किया गया माना जाता था जिसका उपयोग कई प्रकार के रोगों के ईलाज के लिए किया जाता था.ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार जिस कन्या की शादी में बार बार बाधा आ रही हो वह अगर पुखराज धारण करती हैं तो विवाह में बाधक तत्व का अंत होता है और जल्दी शादी होती है.