Monday, February 15, 2016

मंत्र संग्रह, सभी मन्त्र संग्रह धारण करने की नियम और विधि

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।
वनस्पतये: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर मुक्षीयमा अमृतात ||
आदौ राम तपोवनादि गमनं , हत्वा मृगम कांचनम वैदेहि हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम भाषणं बाली निर्दलम समुद्र तरणं लंकापुरी दाहनं पश्चात् रावण कुम्भकरण हननम एताधि रामायणं || 

 ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्‌ ॥

देवी मन्त्र 

या देवी सर्वभूतेषु माँ रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु शक्ती रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||

श्री हनुमान मंत्र

 मनोजवं मारुततुल्यवेगम् |
जितेन्दि्रयं बुद्धिमतां वरिष्थम् |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं |
श्री रामदूमं शरण प्रपद्ये ||

श्री लक्ष्मी मंत्र

विष्णुप्रिये नमस्तुभ्यं जगद्धिते |
अर्तिहंत्रि नमस्तुभ्यं समृद्धि कुरु में सदा || 

श्री सूर्य मंत्र

आ कृष्णेन् रजसा वर्तमानो निवेशयत्र अमतं मर्त्य च 
हिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन ||