वक्रतुण्ड महाकाय
सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे
देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यम् ।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
ॐ द्यौ:
शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।
वनस्पतये: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।
वनस्पतये: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर मुक्षीयमा अमृतात ||
आदौ राम तपोवनादि गमनं , हत्वा मृगम
कांचनम वैदेहि हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम भाषणं बाली निर्दलम समुद्र तरणं
लंकापुरी दाहनं पश्चात् रावण कुम्भकरण हननम एताधि रामायणं ||
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ॥
देवी मन्त्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ रुपेण संस्थिता
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या देवी सर्वभूतेषु शक्ती रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्वभूतेषु शक्ती रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
श्री हनुमान मंत्र
जितेन्दि्रयं बुद्धिमतां
वरिष्थम् |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं |
श्री रामदूमं शरण प्रपद्ये ||
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं |
श्री रामदूमं शरण प्रपद्ये ||
श्री लक्ष्मी मंत्र
विष्णुप्रिये नमस्तुभ्यं जगद्धिते |
अर्तिहंत्रि नमस्तुभ्यं समृद्धि कुरु में सदा ||
अर्तिहंत्रि नमस्तुभ्यं समृद्धि कुरु में सदा ||
श्री सूर्य मंत्र
आ कृष्णेन् रजसा वर्तमानो निवेशयत्र
अमतं मर्त्य च
हिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन ||
हिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन ||